IMG-LOGO
Home भारतीय संविधान के संशोधन

भारतीय संविधान के संशोधन

by BhartiyaExam - 10-Nov-2017 01:44 PM {{viewCount}} Views {{commentsList.length}} Comment

● पहला संशोधन (1951) —नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया।
● दूसरा संशोधन (1952) —संसद में राज्यों के प्रतिनिधित्व का निर्धारन किया।
● सातवां संशोधन (1956) —इस संशोधन मे राज्यों का अ, ब, स और द वर्गों में बटवारा समाप्त कर उन्हें 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित क्षेत्रों में विभक्त किया गया।
● दसवां संशोधन (1961) —दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल करके संघीय क्षेत्र की स्थिति दी गई।
● 12वां संशोधन (1962) —गोवा, दमन और दीव का भारतीय संघ में एकीकरण हुआ।
● 13वां संशोधन (1962) —संविधान में नया अनुच्छेद 371 (अ) जोड़ा गया, जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान दिए गए। 1दिसंबर, 1963 को नागालैंड को एक राज्य की स्थिति दी गई।
● 14वां संशोधन (1963) —पांडिचेरी को संघ राज्य क्षेत्र के रूप में पहली अनुसूची में जोड़ा गया तथा इन संघ राज्य क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव, पांडिचेरी और मणिपुर) में विधानसभाओं की स्थापना की व्यवस्था की गई।
● 21वां संशोधन (1967) —आठवीं अनुसूची में ‘सिंधी’ भाषा जोड़ी।
● 22वां संशोधन (1968) —संसद को मेघालय को स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करके तथा उसके लिए विधानमंडल और मंत्रिपरिषद का उपबंध की शक्ति दी।
● 24वां संशोधन (1971) —संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार मिला।
● 27वां संशोधन (1971) —उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के पाँच राज्यों  असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर व त्रिपुरा तथा दो संघीय क्षेत्रों मिजोरम और अरुणालच बने तथा इनमें समन्वय और सहयोग के लिए एक ‘पूर्वोत्तर सीमांत परिषद्’ बनाई गई।
● 31वां संशोधन (1974) —लोकसभा की अधिकतम सदंस्यो को संख्या 547  कर दी। इनमें से 545 निर्वाचित व 2 राष्ट्रपति मनोनीत करेगा।
● 36वां संशोधन (1975) —सिक्किम को भारतीय संघ में 22वें राज्य के रूप में प्रवेश दिया।
● 37वां संशोधन (1975) —अरुणाचल प्रदेश में व्यवस्थापिका तथा मंत्रिपरिषद् बनाई गई।
● 42वां संशोधन (1976) —इसे ‘लघु संविधान’ की संज्ञा दी गई।
—इसमे संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ शब्द जोडा गया।
—इसमे अधिकारों के साथ कत्र्तव्यों की व्यवस्था करके नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्य निश्चित है।
—लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्य में एक साल की वृद्धि।
—नीति-निर्देशक तत्वों में नवीन तत्व जोड़े गए।
—इसमे शिक्षा, नाप-तौल, वन और जंगली जानवर तथा पक्षियों की रक्षा राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में रखे।
—व्यवस्था की गई कि अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल संपूर्ण देश में लागू किया जा सके या देश के किसी एक या कुछ भागों मे।
—संसद द्वारा किए गए संविधान मे संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित कर दिया।
● 44वां संशोधन (1978) —संपत्ति के मूलाधिकार को समाप्त कर विधिक अधिकार बना दिया गया।
—लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के समय पुनः 5 वर्ष कर दीया।
—राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष्ज्ञ के चुनाव विवादों की सुनवाई का अधिकार  सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय को ही है।
— मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को जो भी परामार्श देगा, राष्ट्रपति मंत्रिमंडल को उस पर दोबारा विचार के लिए कह सकेंगे लेकिन पुनर्विचार के बाद मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को जो परामर्श देगा, राष्ट्रपति उस परामर्श पर अनिवार्यतः स्वीकारेगा।
—‘व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार’ को शासन आपातकाल सीमित नहीं कर सकता।
● 52वां संशोधन (1985) —इस संशेधन मे संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके द्वारा राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगाने की चेष्टा की गई है।
● 55वां संशोधन (1986) —अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ मे राज्य का दर्जा दिया गया।
● 56वां संशोधन (1987) —इसमें गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा तथा ‘दमन व दीव’ को नया संघीय क्षेत्र बनाने की व्यवस्था की।
● 61वां संशोधन (1989) —मताधिकार के लिए न्यूनतम आवश्यक आयु 21 वर्ष से 18 वर्ष कर दी।
● 65वां संशोधन (1990) —‘अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग’ के गठन की व्यवस्था की कर गई।
● 69वां संशोधन (1991) —दिल्ली का नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली’ कर दिया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधानसभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान कर दिया।
● 70वां संशोधन (1992) —दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल करने का प्रावधान दिया।
● 71वां संशोधन (1992) —तीन अन्य भाषा कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोडा गया।
● 73वां संशोधन (1992) —संविधान में एक नया भाग 9 तथा एक नई अनुसूची ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई और पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
● 74वां संशोधन (1993) —नया भाग 9क और एक नई अनुसूची 12वीं अनुसूची जोड़कर शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया।
● 91वां संशोधन (2003) -दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन किया।
● 92वां संशोधन (2003) —इसमें आठवीं अनुसूची में चार और भाषाओं-मैथिली, डोगरी, बोडो और संथाली को जोड़ा गया।
● 93वां संशोधन (2005) —इसमें एससी/एसटी व ओबीसी बच्चों के लिए गैर- स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का नियम किया गया।
● 97वां संशोधन (2011) —इसमें संविधान के भाग 9 में भाग 9ख जोड़ा गया और हर नागरिक को कोऑपरेटिव सोसाइटी के बनाने का अधिकार दिया।


Previous Next

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Subscribe

Get all latest content delivered to your email a few times a month.

Important General Knowledge