uttar pradesh ki geography in hindi
उत्तर प्रदेश – प्रारंभिक भौगोलिक परिचय
- उत्तर प्रदेश की लम्बाई और चौड़ाई क्रमश: 650 किमी, 240 किमी है।
- पूरे भारत में उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल 33 प्रतिशत है।
- उत्तर प्रदेश को 8 राज्यों एवं एक केन्द्रशासित राज्य की सीमाएं स्पर्श करती हैं।
- उत्तर प्रदेश के उत्तर में शिवालिक पर्वत श्रेणी का विस्तार है।
- उत्तर प्रदेश के दक्षिण में विन्ध्य पर्वत श्रेणी का विस्तार है।
- गोंडवाना लैंड उत्तर प्रदेश की प्राचीनतम भू-खण्ड का एक भाग है।
- उत्तर प्रदेश के दक्षिण में स्थित पठारों का निर्माण विन्ध्य क्रम की शैलों से हुआ।
- गंगा-यमुना मैदान में नवीन कॉप निक्षेपों को खादर कहा जाता है।
- गंगा-यमुना मैदान में प्राचीन कॉप निक्षेपों को बांगर कहा जाता है।
- तराई क्षेत्र का वह उत्तरी भाग, जहां ककड़-पत्थर और मोटे बालू के निक्षेप मिलते हैं, उन्हें भॉंवर क्षेत्र कहा जाता है।
- तराई क्षेत्र की भूमि समतल, नम, दलदली होती है।
- उत्तर प्रदेश का विशाल मैदानी क्षेत्र यमुना और गंडक नदियों के मध्य अवस्थित है।
- बीहड़ों का निर्माण चम्बल और यमुना नदियों के किनारों पर हुआ है।
- बुंदेलखंड पठार की औसत ऊंचाई 300 मीटर है।
- प्रसिद्ध विन्डम जल प्रपात मिर्जापुर में है।
- चम्बल बेतवा और केन यमुना नदी में दाहिने की छोर पर मिलती हैं
- भारत में मृदा अवनालिका क्षरण से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र चम्बल घाटी है।
जलवायु एवं मौसम (Climate and Season)
- उत्तर प्रदेश की जलवायु समशीतोष्ण उष्ण कटिबंधीय है।
- ग्रीष्म ऋतु में प्रदेश के दक्षिणी भाग में अधिक तापमान होने का प्रमुख कारण कर्क रेखा का नजदीक होना है।
- ग्रीष्मकाल में प्रदेश में चलने वाली शुष्क पछुआ हवाओं को लू कहा जाता है।
- प्रदेश में बंगाल की खाड़ी वाले मानसून को पूर्वा के नाम से जाना जाता है।
- प्रदेश में बंगाल की खाड़ी के मानसून का प्रवेश पूर्व तथा दक्षिण पूर्व दिशा से होता है।
- प्रदेश में होने वाली सम्पूर्ण वर्षा का 75 से 85 प्रतिशत वर्षा, बंगाल की खाड़ी वाले मानसून से होती है।
- प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा पूर्वी मैदान के तराई क्षेत्र में होती है।
- प्रदेश में शीतकाल और ग्रीष्मकाल में चक्रवाती और संवहनीय वर्षा होती है।
मृदा एवं खनिज – Soil and Minerals
- भांवर क्षेत्र की मृदा कंकरीली-पथरीली होती है।
- गंगा के विशाल मैदानका निर्माण प्लीस्टोसीन युग से आज तक नदियों के निक्षेपों से हुआ है।
- उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जलोढ़ मिट्टी के पायी जाती है।
- नवीन एवं प्राचीन जलोढ़ मृदा को खादर, बांगर के नाम से जाना जाता है।
- जलोढ़ मृदा का निर्माण कांप, कीचड़ और बालू से हुआ है।
- जलोढ़ मृदा में पोटाश एवं चूना (रसायन) की प्रचुरता रहती है।
- जलोढ़ मृदा में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन एवं जैव तत्व की कमी रहती है।
- मृदा के खनिज, जैव पदार्थ, जल तथा वायु चार प्रमुख घटक हैं।
- लवणीय एवं क्षारीय मृदा को सामान्यत: ऊसर या बंजर या कल्लर या रेह के नाम से जाना जाता है।
- विन्ध्य शैलों के टूटने से लाल मृदा का निर्माण हुआ।
- प्रदेश में मरुस्थलीय मृदा कुछ पश्चिमी जिलों में पायी जाती हैं।
- लाल, परवा, मार, राकर, तथा भोण्टा आदि बुंदेलखंड की मुद्राएं हैं।
- उत्तर प्रदेश जलीय अपरदन का मृदा अपरदन अधिक होता है।
- परत अपरदन को ‘किसान की मौत’ कहा जाता है।
- प्रदेश का इटावा जिला अवनलिका अपरदन से अधिक प्रभावित है।
- ग्रीष्म ऋतु में सर्वाधिक वायु अपरदन होता है।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश, प्रदेश में वायु अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित है।
जलीय संसाधन एवं नदियाँ (Water resource and rivers)
- प्रदेश के मैदानी भाग में समान्तर अपवाह तंत्र पाया जाता है।
- उद्गम स्रोतों के आधार पर प्रदेश में तीन प्रकार की नदियां पायी जाती है।
- भागीरथी और अलकनंदा नदियों का मिलन देव प्रयाग में है।
- काली का उद्गम स्थल मिलम हिमनद में है।
- गंगा से रामगंगा बायीं ओर से, कन्नौज के पास मिलती है।
- गंगा उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में प्रवेश करती है और जिला बलिया से बाहर निकलती है।
- यमुना उत्तर प्रदेश के फैजाबाद (सहारनपुर) में सर्वप्रथम प्रवेश करती है।
- रामगंगा प्रदेश के कालागढ़ (बिजनौर) पर सर्वप्रथम प्रवेश करती है।
- घाघरा (करनाली) का उद्गम स्थल मापचा चुंगों है।
प्राकृतिक संपदा – Natural Resources
- राज्य के 10 जिलों को खनिज बाहुल्य क्षेत्र घोषित किया गया है।
- उत्तर प्रदेश राज्य खनिज विकास निगम की स्थापना 1974 में की गयी थी।
- राज्य में यूरेनियम ललितपुर में पाया जाता है।
- चूने पत्थर के भंडार में देश में उत्तर प्रदेश का दूसरा स्थान है।
- कांच-बालू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है।
- प्रदेश के हमीरपुर जिले में ग्रेफाइट के प्रमाण मिले हैं।
- प्रदेश के मिर्जापुर का कजराहट व रोहतास क्षेत्र चूना पत्थर के लिए प्रसिद्ध है।
वनस्पति संपदा – Flora
- राज्य के कुल वन क्षेत्र का 97 प्रतिशत खुला, 31.70 प्रतिशत सघन एवं 11.30 प्रतिशत सघन वन क्षेत्र है।
- प्रदेश में सोनभद्र जिले के कुल क्षेत्रफल का 43 प्रतिशत वन क्षेत्र है।
- प्रदेश के संत रविदास नगर जिले में सबसे कम भू-भाग में वन क्षेत्र है।
- सर्वाधिक वन प्रतिशत वाले पांच जिले घटते क्रम में इस प्रकार हैं – सोनभद्र, चंदौली, पीलीभीत, मिर्जापुर और चित्रकूट।
- सबसे कम प्रतिशत वाले जिले भदोही, संतकबीर नगर, मऊ, मैनपुरी व देवरिया हैं।
- प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र का सर्वाधिक क्षेत्रफल खीरी जिले का है।
- खुले वन क्षेत्र का सर्वाधिक क्षेत्रफल सोनभद्र जिले का है।
- वृच्छादन में देश में उत्तर प्रदेश का चौथा स्थान है।
- सामान्यत: उत्तर प्रदेश में उष्णकटिबन्धीय वन पाये जाते हैं।
- प्रदेश में सामाजिक वानिकी योजना 1976 में शुरू की गयी।
- सामाजिक वानिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बेस्टोबाय ने किया।
- प्रदेश में जड़ी-बूटी एवं तेंदु पत्ते का संग्रहण उत्तर प्रदेश वन निगम द्वारा कराया जाता है।
- सामाजिक वानिकी का यूकेलिप्टस वृक्ष भूमि के लिए घातक है।
- राज्य सरकार द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1977 को संशोधित कर भारतीय वन (उ.प्र. संशोधन)अधिनियम 2000 वर्ष 2001 में लागू किया गया।
- उत्तर प्रदेश की प्रथम वन नीति 1952 में और द्वितीय वन नीति 1998 में घोषित की गयी।
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