चक्रवर्ती राजगोपालचारी का जन्म मद्रास के थोरपल्ली गांव में 10 दिसंबर 1878 को हुआ था. रोजगोपालचारी राजाजी के नाम से भी जाने जाते हैं. उन्होंने मद्रास कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की थी. राजगोपालचारी कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे और महात्मा गांधी के काफी करीबी माने जाते थे. 1930 में जब गांधी जी ने दांडी मार्च किया तो इन्होंने भी नमक कानून तोड़ा था.
राजनीति के साथ-साथ ही राजगोपालचारी ने भारतीय जात-पात के आडंबर पर भी गहरा चोट किया. कई मंदिरों में जहां दलित समुदाय का मंदिर में जाना वर्जित था, इन्होंने इस नियम का डटकर विरोध किया. इसके कारण मंदिरों में दलितों का प्रवेश संभव हो सका. 1938 में इन्होंने एग्रीकल्चर डेट रिलीफ एक्ट कानून बनाया ताकि किसानों को कर्ज से राहत मिल सके.
राजगोपालचारी को कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के रूप में भी चुना गया था. अंतिम गवर्नर माउंटबेटन के बाद राजगोपालचारी भारत के पहले गवर्नर बने थे. 1950 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार में इन्हें गृहमंत्री भी बनाया गया. 1952 में राजगोपालचारी ने मद्रास के मुख्यमंत्री के रूप में थपथ ली. स्वतंत्रता संग्राम से लेकर बाद तक देश की सेवा करने के लिए इन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार भारत रत्न 1954 में दिया गया. बाद में नेहरू से अपनी वैचारिक असहमति के कारण कांग्रेस से अलग हो गए. कांग्रेस से अलग होकर इन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई, जिसका नाम ‘एंटी कांग्रेस स्वतंत्र पार्टी’ रखा गया.
राजनीतिक कामों के अलावा इन्होंने संस्कृत ग्रंथ ‘रामायण’ का तमिल में अनुवाद किया. राजगोपालचारी तमिल के साथ-साथ अंग्रेजी के भी बेहतरीन लेखक थे. इन्होंने सलेम लिटरेरी सोसाइटी के संस्थापक थे. अपने कारावास के समय के बारे में उन्होंने ‘मेडिटेशन इन जेल’ के नाम से किताब भी लिखी.
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